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Monday, 7 October 2013

अभी तक तेरी याद लिए बैठे हैं

अभी तक तेरी याद लिए बैठे हैं
उदासी  बेहिसाब लिए बैठे हैं

जो ख़त तूने लिखा ही नहीं
उस ख़त का जवाब लिए बैठे हैं

सूख चुका है किताब में लेकिन
तेरा दिया गुलाब लिए बैठे हैं

मुकेश इलाहाबादी --------------

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