अभी तक तेरी याद लिए बैठे हैं
उदासी बेहिसाब लिए बैठे हैं
जो ख़त तूने लिखा ही नहीं
उस ख़त का जवाब लिए बैठे हैं
सूख चुका है किताब में लेकिन
तेरा दिया गुलाब लिए बैठे हैं
मुकेश इलाहाबादी --------------
उदासी बेहिसाब लिए बैठे हैं
जो ख़त तूने लिखा ही नहीं
उस ख़त का जवाब लिए बैठे हैं
सूख चुका है किताब में लेकिन
तेरा दिया गुलाब लिए बैठे हैं
मुकेश इलाहाबादी --------------
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