ख्वाहिशें अपनी घटा के देखा
रफ्तारे ज़िन्दगी बढ़ा के देखा
ता-उम्र तनहा के तनहा रहे
सब से दोस्ती निभा के देखा
इक दिन तुम भी चले जाओगे
तुमसे भी रिश्ता बना के देखा
हिस्से मे रेत् ही रेत् मिली
प्यार की गंगा बहा के देखा
शायद हमारी ही गलती थी
खुद को बढ़ा चढ़ा के देखा
मुकेश इलाहाबादी -------------
रफ्तारे ज़िन्दगी बढ़ा के देखा
ता-उम्र तनहा के तनहा रहे
सब से दोस्ती निभा के देखा
इक दिन तुम भी चले जाओगे
तुमसे भी रिश्ता बना के देखा
हिस्से मे रेत् ही रेत् मिली
प्यार की गंगा बहा के देखा
शायद हमारी ही गलती थी
खुद को बढ़ा चढ़ा के देखा
मुकेश इलाहाबादी -------------
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