वह बर्बाद हो के भी खिलखिलाता है
कि आइना टूट कर भी छनछनाता है
जब जब भी तीरगी औ तंहाई होती है
तब तब वो तेरा ही गीत गुनगुनाता है
अजब फकीराना अंदाज़ है मुकेश का
ग़म आता है तो और भी मुस्कुराता है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
कि आइना टूट कर भी छनछनाता है
जब जब भी तीरगी औ तंहाई होती है
तब तब वो तेरा ही गीत गुनगुनाता है
अजब फकीराना अंदाज़ है मुकेश का
ग़म आता है तो और भी मुस्कुराता है
मुकेश इलाहाबादी -------------------------
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