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Friday, 25 October 2013

वह बर्बाद हो के भी खिलखिलाता है

वह बर्बाद हो के भी खिलखिलाता है
कि आइना टूट कर भी छनछनाता है

जब जब भी तीरगी औ तंहाई होती है
तब तब वो तेरा ही गीत गुनगुनाता है

अजब फकीराना अंदाज़ है मुकेश का  
ग़म आता है तो और भी मुस्कुराता है

मुकेश इलाहाबादी -------------------------

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