खुद और ख़ुदा से भी दूर हो गए ,
तेरे यार मे इतने मज़बूर हो गए
जब से तूने अपनी चांदनी समेटी
फलक के सारे तारे बेनूर हो गए
ज़रा सा हुस्न ज़रा सी नज़ाकत
खुदा की दौलत पे मगरूर हो गए
हमने तो न की थी किसी से चर्चा
फिर अपने चर्चे क्यूँ मशूर हो गए
हर रिश्ते मे शको सुबह करना ही
शहर का चलन व दस्तूर हो गए
तेरे यार मे इतने मज़बूर हो गए
जब से तूने अपनी चांदनी समेटी
फलक के सारे तारे बेनूर हो गए
ज़रा सा हुस्न ज़रा सी नज़ाकत
खुदा की दौलत पे मगरूर हो गए
हमने तो न की थी किसी से चर्चा
फिर अपने चर्चे क्यूँ मशूर हो गए
हर रिश्ते मे शको सुबह करना ही
शहर का चलन व दस्तूर हो गए
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