Pages

Sunday, 1 December 2013

ज़ख्मे इश्क़ अपना हुआ



ज़ख्मे इश्क़ अपना हुआ
दर्द से रिस्ता पुराना हुआ

आज फिर तेरी याद आयी
सर्द मौसम भी सुहाना हुआ

ज़ीस्त अमावस की रात हुई
चाँद देखे हुए ज़माना हुआ

तेरा नाम मुझसे क्या जुड़ा
सारा शहर ही बेगाना हुआ

हमने दास्ताने दिल सुनाया
दुनिया के लिए फ़साना हुआ

मुकेश इलाहाबादी  -------------

No comments:

Post a Comment