ज़ख्मे इश्क़ अपना हुआ
दर्द से रिस्ता पुराना हुआ
आज फिर तेरी याद आयी
सर्द मौसम भी सुहाना हुआ
ज़ीस्त अमावस की रात हुई
चाँद देखे हुए ज़माना हुआ
तेरा नाम मुझसे क्या जुड़ा
सारा शहर ही बेगाना हुआ
हमने दास्ताने दिल सुनाया
दुनिया के लिए फ़साना हुआ
मुकेश इलाहाबादी -------------
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