गर हवा के रुख पे बहे होते ?
हम भी किनारे लग गए होते
गर दिल को फलक बनाया होता ?
तेरे आँचल में भी सितारे जड़े होते
गर एक भी बीज बोया होता ?
चमन में फूल ही फूल खिले होते
गर इतना मगरूर न हुए होते ?
तेरे दर पे भी आशिक़ खड़े होते
मुकेश इलाहाबादी ------------------
हम भी किनारे लग गए होते
गर दिल को फलक बनाया होता ?
तेरे आँचल में भी सितारे जड़े होते
गर एक भी बीज बोया होता ?
चमन में फूल ही फूल खिले होते
गर इतना मगरूर न हुए होते ?
तेरे दर पे भी आशिक़ खड़े होते
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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