Pages

Tuesday, 14 January 2014

हथौड़े की चोट सह गया पत्थर


हथौड़े की चोट सह गया पत्थर
बुत बन कर मुस्कुराया पत्थर

पत्थर दिल इन्सां क्या समझेगा
कित्तने तूफ़ान सहता है पत्थर ?

कितनी नदियों समेटे है पत्थर ?
यही परवत बन के खड़ा है पत्थर

कितनी दूर और किधर है मंज़िल
राह दिखाता बन मील का पत्थर

मुकेश इलाहाबादी -----------------

No comments:

Post a Comment