दोस्त का घर आना हुआ
मनमयूर का नाचना हुआ
गीला शिकवे कहे सुने गए
रूठे सजन को मानना हुआ
साँसों की हर लय पे थिरक
मुहब्बत का नया तराना हुआ
कलियाँ फिर फिर मुस्कुराईं
भौरों का भी गुनगुनाना हुआ
इक हसीन खवाब देखे हुए
मुकेश कितना ज़माना हुआ
मुकेश इलाहाबादी ----------
मनमयूर का नाचना हुआ
गीला शिकवे कहे सुने गए
रूठे सजन को मानना हुआ
साँसों की हर लय पे थिरक
मुहब्बत का नया तराना हुआ
कलियाँ फिर फिर मुस्कुराईं
भौरों का भी गुनगुनाना हुआ
इक हसीन खवाब देखे हुए
मुकेश कितना ज़माना हुआ
मुकेश इलाहाबादी ----------
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