एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 4 February 2014
लब खोल तो दूं मै
लब खोल तो दूं मै चुप रहने का कोई इरादा भी नहीं
बस शर्त इतनी सी है,दोस्त कोई सुनने वाला तो हो
मुकेश इलाहाबादी -----------------------------------
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