मै इंक़लाबी हो गया
लहज़ा बाग़ी हो गया
नेता की अगवानी में
शहर छावनी हो गया
मज़हबी बातों से ही तो
आलम बारूदी हो गया
कल तक जो शायर था
वो भी व्यापारी हो गया
मुकेश इलाहाबादी --------
लहज़ा बाग़ी हो गया
नेता की अगवानी में
शहर छावनी हो गया
मज़हबी बातों से ही तो
आलम बारूदी हो गया
कल तक जो शायर था
वो भी व्यापारी हो गया
मुकेश इलाहाबादी --------
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