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Friday, 30 May 2014

मै इंक़लाबी हो गया

मै इंक़लाबी हो गया
लहज़ा बाग़ी हो गया

नेता की अगवानी में
शहर छावनी हो गया

मज़हबी बातों से ही तो 
आलम बारूदी हो गया

कल तक जो शायर था
वो भी व्यापारी हो गया

मुकेश इलाहाबादी --------

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