गाल गुलाबी हो गया
समाँ फागुनी हो गया
तेरी आखों की मय से
जँहा शराबी हो गया
नफरत दिल वाला भी
प्रेम पुजारी हो गया
इंद्रधनुषी आँचल से
मन सतरंगी हो गया
तो जब से ग़ज़ल बनी
दिल सारंगी हो गया
मुकेश इलाहाबादी --
समाँ फागुनी हो गया
तेरी आखों की मय से
जँहा शराबी हो गया
नफरत दिल वाला भी
प्रेम पुजारी हो गया
इंद्रधनुषी आँचल से
मन सतरंगी हो गया
तो जब से ग़ज़ल बनी
दिल सारंगी हो गया
मुकेश इलाहाबादी --
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