तहरीर मेरी खामोशी की पढ़ लो
कह न सका जो बात समझ लो
हों जोभी गीले शिकवे शिकायत
हूँ फुर्सत में मै आज तुम कह लो
खुद डूब के भी तुझको बचा लूंगा
बस इक बार मेरा हाथ पकड़ लो
बचा लूंगा तुझे सूरज की तपन से
हूँ मै दरख़्त मेरी छाँह में रुक लो
होंगे सुख़नवर ज़माने में और भी
बस इक बार मेरी ग़ज़ल सुन लो
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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