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Tuesday, 20 May 2014

बात साहिल की कब सूनी नदी

बात साहिल की कब सूनी नदी 
अपनी ही रौ में बहती रही नदी

न चैनो क़रार आया साहिल को
न चैनो शुकूं से है बह सकी नदी

बेवफा चाँद की मुहब्बत में नदी
रात पूनो में तड़पती दिखी नदी

तोड़ तटबंध जब जब बही नदी
मुकेश सिर्फ लाई बरबादी नदी

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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