बात साहिल की कब सूनी नदी
अपनी ही रौ में बहती रही नदी
न चैनो क़रार आया साहिल को
न चैनो शुकूं से है बह सकी नदी
बेवफा चाँद की मुहब्बत में नदी
रात पूनो में तड़पती दिखी नदी
तोड़ तटबंध जब जब बही नदी
मुकेश सिर्फ लाई बरबादी नदी
मुकेश इलाहाबादी -----------------
अपनी ही रौ में बहती रही नदी
न चैनो क़रार आया साहिल को
न चैनो शुकूं से है बह सकी नदी
बेवफा चाँद की मुहब्बत में नदी
रात पूनो में तड़पती दिखी नदी
तोड़ तटबंध जब जब बही नदी
मुकेश सिर्फ लाई बरबादी नदी
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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