एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 19 May 2014
मै खुशबू हूँ,
मै खुशबू हूँ, मुझको भी लिपट जाने दो
झट्कोगी इन ज़ुल्फ़ों को तो और भी महक जाओगी
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------
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