दिन का चैन रातों की नींद चुराने वाले
दर्दे दिल क्या जानेंगे दिल दुखाने वाले
हंसने मुस्कुराने की बात कौन करता है
बज़्म में बैठे हैं सभी रोने - रुलाने वाले
है बादशाहियत रंवा हमारी रग -रग में
हम वो आशिक़ नहीं,नखरे उठाने वाले
यूँ तो महफ़िल में होंगे बहुत सुख़नवर
न होंगे वहाँ कोई हम जैसा सुनाने वाले
मुकेश रहा आया है अब - तक शान से
कब के मर-खप गए हमें झुकाने वाले
मुकेश इलाहाबादी --------------------
दर्दे दिल क्या जानेंगे दिल दुखाने वाले
हंसने मुस्कुराने की बात कौन करता है
बज़्म में बैठे हैं सभी रोने - रुलाने वाले
है बादशाहियत रंवा हमारी रग -रग में
हम वो आशिक़ नहीं,नखरे उठाने वाले
यूँ तो महफ़िल में होंगे बहुत सुख़नवर
न होंगे वहाँ कोई हम जैसा सुनाने वाले
मुकेश रहा आया है अब - तक शान से
कब के मर-खप गए हमें झुकाने वाले
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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