नाम सूरज शहर अँधेरा देखा
हमसे मत पूछो क्या क्या देखा
काले धंधे काली करतूतें जिनकी
पैरहन उनका हमने उजला देखा
दुनिया लाख क़सीदे पढ़ती हो पै
चाँद का मुँह भी हमने टेढ़ा देखा
ज़मीं की मुहब्बत में उफ़ुक़ पर
हमने आसमान को झुकता देखा
मुकेश दिन भर हँसता रहता है
पर हर साँझ उसे संजीदा देखा
मुकेश इलाहाबादी ---------------
हमसे मत पूछो क्या क्या देखा
काले धंधे काली करतूतें जिनकी
पैरहन उनका हमने उजला देखा
दुनिया लाख क़सीदे पढ़ती हो पै
चाँद का मुँह भी हमने टेढ़ा देखा
ज़मीं की मुहब्बत में उफ़ुक़ पर
हमने आसमान को झुकता देखा
मुकेश दिन भर हँसता रहता है
पर हर साँझ उसे संजीदा देखा
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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