एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 3 August 2014
भीगी - भीगी रात थी
भीगी - भीगी रात थी
यादों की बरसात थी
तुम नौ में पढ़ती थी
पहली मुलाक़ात थी
यूँ तो तमाम लोग थे
तुम्हारी अलग बात थी
गुलाब की ताज़ी कली
सबसे बड़ी सौगात थी
तुम्हारे जाने के बाद
ज़ीस्त अंधेरी रात थी
मुकेश इलाहाबादी ---
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