हर लफ़्ज़ को धार देना होगा
ख़ुद को तलवार करना होगा
ये मज़नू बनने का वक़्त नहीं
हमें राणा प्रताप बनना होगा
पूरा समाज ही भ्रष्ट हो जाये
उसके पहले ही सोचना होगा
क़यामत आये इसके पहले
धर्म की तरफ लौटना होगा
एक न एक दिन ज़माने को
मुकेश की बात सुनना होगा
मुकेश इलाहाबादी ----------
ख़ुद को तलवार करना होगा
ये मज़नू बनने का वक़्त नहीं
हमें राणा प्रताप बनना होगा
पूरा समाज ही भ्रष्ट हो जाये
उसके पहले ही सोचना होगा
क़यामत आये इसके पहले
धर्म की तरफ लौटना होगा
एक न एक दिन ज़माने को
मुकेश की बात सुनना होगा
मुकेश इलाहाबादी ----------
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