डूबती आखों में सवाल ज़िंदगी का
नशीली आखों में सवाल ज़िंदगी का
मिला नहीं माक़ूल जवाब ज़िंदगी का
मिलना बिछड़ना अंजाम ज़िंदगी का
ज़माने वाले समंदर लिए फिरते हैं
यहां खाली रह गया जाम ज़िंदगी का
लगाया है जब से दिल तुमसे मुकेश
रातों - दिन जागना काम ज़िंदगी का
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
नशीली आखों में सवाल ज़िंदगी का
मिला नहीं माक़ूल जवाब ज़िंदगी का
मिलना बिछड़ना अंजाम ज़िंदगी का
ज़माने वाले समंदर लिए फिरते हैं
यहां खाली रह गया जाम ज़िंदगी का
लगाया है जब से दिल तुमसे मुकेश
रातों - दिन जागना काम ज़िंदगी का
मुकेश इलाहाबादी -----------------------
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