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Tuesday, 4 November 2014

डूबती आखों में सवाल ज़िंदगी का

डूबती  आखों  में सवाल ज़िंदगी का
नशीली आखों में सवाल ज़िंदगी का

मिला नहीं माक़ूल जवाब ज़िंदगी का
मिलना बिछड़ना अंजाम ज़िंदगी का

ज़माने वाले समंदर लिए फिरते हैं
यहां खाली रह गया जाम ज़िंदगी का

लगाया है जब से दिल तुमसे मुकेश
रातों - दिन जागना काम ज़िंदगी का

मुकेश इलाहाबादी -----------------
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