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Thursday, 13 November 2014

आईना तो सच दिखा रहा था

आईना तो
सच दिखा रहा था
जाला,
हमारी ही आखों में था

दुनिया जिसे
बेदाग़ समझती रही
धब्बा,
उसी केे दामन में था

वो बहुत पहले की बात है
जब लोग
दो रोटी और दो लंगोटी में
खुश रहा करते थे

तुम
ये जो राजपथ देखते हो
कभी वहां पगडंडी
हुआ करती थी
और एक
छांवदार पेड भी हुआ करता था

ये तब की बात है
जब लोग
धन में नही धर्म में
आस्था रखा करते थे

खैर छोडो मुकेश बाबू
इन बातों से क्या फायदा
आओ काम की बातें करें
या फिर
क्रिकेट, मौसम या सटटाबाजार
पे तजकरा करें

मुकेश इलाहाबादी ...............

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