कहीं जाऊं तो रास्ता कोई रोके तो
घर से निकलूं और कोई टोंके तो
चुपचाप बैठै रहने का मन हो मेरा
कोई मुझको छेड - छेड के बोले तो
जब मै हंसू तो मेरे संग-संग हंसे
मै रोऊँ तो मेरे साथ कोई रोये तो
पाकर फूलों की सेज भी खुश रहे
वर्ना साथ मेरे जमीन पर सोये तो
गर पल भर को भी बिछड जाऊं
मेरे बारे मे ही हर लमहा सोंचे तो
मुकेश सफरे हयात हो तो ऐसा हो
एक रोये तो दूसरा ऑसूं पोंछे तो
मुकेश इलाहाबादी ................
घर से निकलूं और कोई टोंके तो
चुपचाप बैठै रहने का मन हो मेरा
कोई मुझको छेड - छेड के बोले तो
जब मै हंसू तो मेरे संग-संग हंसे
मै रोऊँ तो मेरे साथ कोई रोये तो
पाकर फूलों की सेज भी खुश रहे
वर्ना साथ मेरे जमीन पर सोये तो
गर पल भर को भी बिछड जाऊं
मेरे बारे मे ही हर लमहा सोंचे तो
मुकेश सफरे हयात हो तो ऐसा हो
एक रोये तो दूसरा ऑसूं पोंछे तो
मुकेश इलाहाबादी ................
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