Pages

Thursday, 4 December 2014

आइना भी अपनी किस्मत पे इतराया होगा

आइना भी अपनी किस्मत पे इतराया होगा
जब - जब भी तू सज संवर के निकली होगी
तुझे देख के हरइक ने माशाअल्ला कहा होगा
आस्मा से उतरी उजली उजली परी लगती हो
तुझको तो फरिश्तों ने भी सज़दा किया होगा
महताब अपनी खूबसूरती पे मगरूर हुआ होगा
तब ख़ुदा ने उसके मुक़ाबिल तुझे बनाया होगा
मुकेश, कुछ अलग ही तबियत का इंसान था
ज़रूर तुझसे मिल के ही वह शायर बना होगा

मुकेश इलाहाबादी ---------------------------

No comments:

Post a Comment