चुप्पी अपनी तोड़ो तो
हमसे कुछ बोलो तो
हमसे कुछ बोलो तो
चंदा सा मुख देखन दे
घूंघट थोड़ा खोलो तो
घूंघट थोड़ा खोलो तो
बाँहों का झूला डाला
संग -२ मेरे डोलो तो
संग -२ मेरे डोलो तो
देखो फागुन आया है
रंग प्रेम के घोलो तो
रंग प्रेम के घोलो तो
होली के हुड़दंग में
हल्ला गुल्ला बोलो तो
मुकेश इलाहाबादी ---
हल्ला गुल्ला बोलो तो
मुकेश इलाहाबादी ---
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