सूरज के
खिलते ही
इठलाकर खिलता है
सूरजमुखी ,
शरमा कर
लेकिन
नजरें झुका लेता है
तब
जब, तुम नहाकर
सूरज को देती हो जर्लाध्य
खिलते ही
इठलाकर खिलता है
सूरजमुखी ,
शरमा कर
लेकिन
नजरें झुका लेता है
तब
जब, तुम नहाकर
सूरज को देती हो जर्लाध्य
तुम्हारे
हंसने से
खिलता है
गुलाब
और झरते हैं
हरश्रंगार
जिसकी खुशबू से
महमहा जाते हैं
मेरे दिन और रात
मुकेश इलाहाबादी ---
हंसने से
खिलता है
गुलाब
और झरते हैं
हरश्रंगार
जिसकी खुशबू से
महमहा जाते हैं
मेरे दिन और रात
मुकेश इलाहाबादी ---
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