दर बदर मै भटका बहुत
उम्र भर रहा तन्हा बहुत
जिंदगी तेजाब की नदी
झुलसा, मगर तैरा बहुत
बचपन की सहेली जिसे
मिली नही पै ढूंढा बहुत
चॉद नदी मेे उतरा नही
दरिया ने मनाया बहुत
मुकेश जैसा इसांन भी
फूट फूटकर रोया बहुत
मुकेश इलाहाबादी ...
उम्र भर रहा तन्हा बहुत
जिंदगी तेजाब की नदी
झुलसा, मगर तैरा बहुत
बचपन की सहेली जिसे
मिली नही पै ढूंढा बहुत
चॉद नदी मेे उतरा नही
दरिया ने मनाया बहुत
मुकेश जैसा इसांन भी
फूट फूटकर रोया बहुत
मुकेश इलाहाबादी ...
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