कभी हमारे घर भी तुम आया करो
हमसे भी, दो चार बातें किया करो
हर बार हम ही आवाज़ देते हैं,कभी
तुम बिन बुलाए भी आ जाया करो
ज़िदंगी मेरी कट रही है सराबों में
कभी बादल बन बरस जाया करो
ये दिल ऐ गुलशन उजड़ा उजड़ा है
कभी तो मोगरे सा खिल जाया करो
मुकेश इलाहाबादी --------------
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