मुसीबतें कम नहीं होतीं
आखें अब नम नही होती
पत्तियों पे सुबह गिरी हुई
हर बूँद शबनम नहीं होती
ज़ख्म पे लगा देने भर से
हर दवा मरहम नहीं होती
मुद्दतों साथ रह लेने से तो
दोस्ती हमदम नहीं होती ?
हर किसी का बेटा ईशू औ
हर माँ मरियम नहीं होती
मुकेश इलाहाबादी ---------
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