जब - जब बादल झूम के बरसा होगा
तब तब तेरा दिल भी तो तड़पा होगा
कभी छत पर आ आ कर तूने भी तो
सूनी राहों पे राह किसी की देखा होगा
माना, आग दबी है राख के अंदर पर
कभी तो ईश्क का शोला भड़का होगा
तेरा दिल कुछ सोच के धड़का होगा ?
दरवाज़े पर हल्की सी थाप सुन के भी
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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