रातरानी गेंदा, गुलाब लिए फिरते हो
संग -२ अपने गुलशन लिए फिरते हो
उजली चांदनी चादर सी बिछ जाती है
साथ अपने सूरज चाँद लिए फिरते हो
तुम्हारे आने से आती है रौनक, मुकेश
संग -२ अपने महफ़िल लिए फिरते हो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
संग -२ अपने गुलशन लिए फिरते हो
उजली चांदनी चादर सी बिछ जाती है
साथ अपने सूरज चाँद लिए फिरते हो
तुम्हारे आने से आती है रौनक, मुकेश
संग -२ अपने महफ़िल लिए फिरते हो
मुकेश इलाहाबादी ----------------------
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