कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराया न कर
सज संवर कर कहीं आया जाया न कर
राह चलते मुसाफिर,कारवां रुक जाते हैं
यूँ चिलमन से तू बेनकाब झाँका न कर
तुझे क्या मालूम मुकेश इक जादूगर है
ईश्क हो जाएगा, उससे रोज़ मिला न कर
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
सज संवर कर कहीं आया जाया न कर
राह चलते मुसाफिर,कारवां रुक जाते हैं
यूँ चिलमन से तू बेनकाब झाँका न कर
तुझे क्या मालूम मुकेश इक जादूगर है
ईश्क हो जाएगा, उससे रोज़ मिला न कर
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
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