आग
हमारे शहर तक
आ चुकी है
लो, अब तो
मोहल्ले और पड़ोस
को भी जला रही है
जलते हुए लोगों की
चीखें भी ठीक ठीक
सुनाई पड़ रही है,
फिर भी हम
आग से लड़ने का फैसला
मुल्तवी रखेंगे
और अपने घर से नहीं निकलेंगे
जब तक,
ये आग
हामरे घर की
चाहरदीवारी तक नहीं आ जाती
मुकेश इलाहाबादी -------------
हमारे शहर तक
आ चुकी है
लो, अब तो
मोहल्ले और पड़ोस
को भी जला रही है
जलते हुए लोगों की
चीखें भी ठीक ठीक
सुनाई पड़ रही है,
फिर भी हम
आग से लड़ने का फैसला
मुल्तवी रखेंगे
और अपने घर से नहीं निकलेंगे
जब तक,
ये आग
हामरे घर की
चाहरदीवारी तक नहीं आ जाती
मुकेश इलाहाबादी -------------
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