Pages

Monday, 28 December 2015

दिन के ख्याल रात के ख़्वाबों में मिलता कौन है

दिन के ख्याल रात के ख़्वाबों में मिलता कौन है
ऐ सितमगर गर तू नहीं तो सच सच बता कौन है

साँझ से ही मेरे छत व आँगन में चांदनी चांदनी है
गर तू चाँद नहीं, तो चाँदनी सा  बिखरता कौन है ?

मुकेश मुद्दतों हुई मेरे घर बसंत आया ही नहीं,
गर तू नहीं तो मेरे आस पास महकता कौन है

मुकेश इलाहाबादी --------------------------------

No comments:

Post a Comment