दिन के ख्याल रात के ख़्वाबों में मिलता कौन है
ऐ सितमगर गर तू नहीं तो सच सच बता कौन है
साँझ से ही मेरे छत व आँगन में चांदनी चांदनी है
गर तू चाँद नहीं, तो चाँदनी सा बिखरता कौन है ?
मुकेश मुद्दतों हुई मेरे घर बसंत आया ही नहीं,
गर तू नहीं तो मेरे आस पास महकता कौन है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
ऐ सितमगर गर तू नहीं तो सच सच बता कौन है
साँझ से ही मेरे छत व आँगन में चांदनी चांदनी है
गर तू चाँद नहीं, तो चाँदनी सा बिखरता कौन है ?
मुकेश मुद्दतों हुई मेरे घर बसंत आया ही नहीं,
गर तू नहीं तो मेरे आस पास महकता कौन है
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
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