Pages

Wednesday, 23 December 2015

सच बोलना आदत है

सच बोलना आदत है
खुद्दारी मेरी ताकत है 

है  ईश्क  मेरा ईमान
मेहनत ही इबादत है

घर हो या फिर बाहर
हर और सियासत है

गूँगों का शहर है और 
बहरों के अदालत है

ढूंढता हूँ बस्ती बस्ती
बची कहाँ शराफत है

मुकेश इलाहाबादी -----

No comments:

Post a Comment