देखो सूरज कितना प्यारा है
मै भी आग वो भी अंगारा है
मल ली,राख फकीरी की,तो
क्या अपना क्या तुम्हारा है
घूम - घूम कर दुनिया देखी
हर कोई तो ग़म का मारा है
ग़र राम नाम की नैया है,
फिर तो दूर कहाँ किनारा है
हो दीन दुःखी या रोगी कोढ़ी
कान्हा हमसब का सहारा है
मुकेश इलाहाबादी ----------
मै भी आग वो भी अंगारा है
मल ली,राख फकीरी की,तो
क्या अपना क्या तुम्हारा है
घूम - घूम कर दुनिया देखी
हर कोई तो ग़म का मारा है
ग़र राम नाम की नैया है,
फिर तो दूर कहाँ किनारा है
हो दीन दुःखी या रोगी कोढ़ी
कान्हा हमसब का सहारा है
मुकेश इलाहाबादी ----------
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