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Friday, 1 January 2016

तुमसे बेहतर मिला नहीं

तुमसे बेहतर मिला नहीं
मैंने भी कहीं तलाशा नहीं

मै भी तो चुप ही रहा और
तुमने भी कुछ कहा  नहीं

मैंने सोचा एक ख़त लिखूं
कुछ सोच कर लिखा नहीं

ग़ज़ल औ नग्मों के सिवा 
मेरे पास कोई तोहफा नहीं

एक बार मिल कर देखो तो
मै  शख्श  इतना बुरा नहीं

मुकेश इलाहाबादी ----------

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