होती है
जब,
हमारे तुम्हारे बीच
अनबन
और पसरा रहता है
अबोला
बहुत देर तक
तब,
बतियाती रहती है
मुझसे
तुम्हरी
चूड़ी की
खन-खन
बर्तन की
ठन - ठन,
अधिकार
प्यार और
गुस्से से भरी
तुम्हारी खामोशी
मुकेश इलाहाबादी --------
जब,
हमारे तुम्हारे बीच
अनबन
और पसरा रहता है
अबोला
बहुत देर तक
तब,
बतियाती रहती है
मुझसे
तुम्हरी
चूड़ी की
खन-खन
बर्तन की
ठन - ठन,
अधिकार
प्यार और
गुस्से से भरी
तुम्हारी खामोशी
मुकेश इलाहाबादी --------
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