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Wednesday, 6 January 2016

अभी भी तुम बची हो

अभी भी
तुम बची हो
डायरी के
पीले पड़ते पन्नो में
पूरा का पूरा

बची है
अभी भी
तुम्हरी खुशबू
पूरी की पूरी
डायरी के पन्नो
के बीच रखे
सूखे गुलाब में


अभी भी बची हो
तुम
पूरा का पूरा
मेरे ज़ेहन में

और बची रहोगी
जब तक कि
बचा हूँ - मै

मेरे दोस्त

मुकेश इलाहाबादी --

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