अभी भी
तुम बची हो
डायरी के
पीले पड़ते पन्नो में
पूरा का पूरा
बची है
अभी भी
तुम्हरी खुशबू
पूरी की पूरी
डायरी के पन्नो
के बीच रखे
सूखे गुलाब में
अभी भी बची हो
तुम
पूरा का पूरा
मेरे ज़ेहन में
और बची रहोगी
जब तक कि
बचा हूँ - मै
मेरे दोस्त
मुकेश इलाहाबादी --
तुम बची हो
डायरी के
पीले पड़ते पन्नो में
पूरा का पूरा
बची है
अभी भी
तुम्हरी खुशबू
पूरी की पूरी
डायरी के पन्नो
के बीच रखे
सूखे गुलाब में
अभी भी बची हो
तुम
पूरा का पूरा
मेरे ज़ेहन में
और बची रहोगी
जब तक कि
बचा हूँ - मै
मेरे दोस्त
मुकेश इलाहाबादी --
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