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Wednesday, 3 February 2016

तुम्हारे पास वक्त ही कहां है ?

तुम्हारे पास
वक्त ही कहां है ?

सुबह की आपा धापी के बाद
जब
बच्चे स्कूल
और पति आफिस जा चुके होते हैं
काम वाली
झाडू पोछा लगा के
बर्तन और कपडे साफ कर के    
जा चुकी होती है
तब भी तो बहुत से काम होते हैं
मॉ को फोन करके हाल चाल लेना है
पिताजी को वक्त से दवाई लेते रहने
की हिदायत देनी होती है
भाई के बारे मे जानना होता है
जाडा जाने वाला है
सारे कपडों को धूप दिखा के बक्से मे रखना है
बच्चों ने उस दिन अलमारी खोली थी
सब कुछ उलट पुलट कर दिया था
पडोसन की सास आयी है
मिलने जाना जरुरी है
फिर कुछ देर आराम और
मनोरंजन भी तो
इन्सान के लिये जरुरी है

सच तुम्हारे पास
एक अकेली जान के पास कितने तो काम रहते हैं
भला इतने कामो के बीच हमे कैसे याद कर सकती हो

तुम सही कहती हो मेरे पास तो सिवाय तुम्हे याद करने के
कोई काम ही नही है।

मुकेश इलाहबदी ----------





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