पहले मेरी प्यास को जगाया गया
फिर बहते दरिया को सुखाया गया
रेत् पे नज़्म लिखने को कहा,फिर
नाज़ुक उँगलियों से मिटाया गया
नए नए अदाओं के तीर ले के आये
उन तीरों को मुझीपे आजमाया गया
मुकेश इलाहाबादी -----------------
फिर बहते दरिया को सुखाया गया
रेत् पे नज़्म लिखने को कहा,फिर
नाज़ुक उँगलियों से मिटाया गया
नए नए अदाओं के तीर ले के आये
उन तीरों को मुझीपे आजमाया गया
मुकेश इलाहाबादी -----------------
No comments:
Post a Comment