Pages

Friday, 1 April 2016

दुनिया इतनी बड़ी नहीं


ये तो
तुम भी जानती हो,
दुनिया इतनी बड़ी नहीं
कि तुम हमसे
और हम तुमसे
मिल ही न पाएं
और,, इतनी छोटी भी नहीं
कि
हम तुम रोज़ रोज़ मिल सकें 
हाँ इतनी बड़ी ज़रूर है
जिसमे
शायद कभी किसी
कॉमन दोस्त के यहाँ
या किसी मॉल में
या कि किसी मेले में
या ट्रेन या बस में
सफर करते हुए
मुलाकात हो जाय
बस --- तब ,, तुम बस
ये मत करना पहचान के भी
न पहचानो
बोलना चाह के भी न बोलो कुछ
ऐसे में तुम
बस गर करना भी ऐसा तो
इतना भर करना
हौले से आँखों ही आँखों में ही सही
मुस्कुरा भर देना
हथेली को पीछे ले जा के
हौले से बॉय कर देना

ताकि तुम्हारे साथ का कोइ
तुम्हे ऐसा करते देख न पाये

बस
मैं खुश हो जाऊंगा
हमेशा हमेशा के लिए
बिलकुल वैसे ही
जैसे आप किसी फूल के पास जाएँ
फूल हौले से हिल के रह जाए
अपनी खुशबू के साथ
और,
बस जाए साँसों में खशबू सा
और यादों में बस जाए
एक नाज़ुक एहसास सा 

मुकेश इलाहाबादी ------------

No comments:

Post a Comment