देखना
एक दिन
जोतने और
खाद डालने के बावजूद
पेड़ उगना बंद कर देंगे
और फल देना भी
और
गौरैया भी
मुंडेर पे नहीं बैठेगी
अगर बैठी भी तो
उड़ जाएगी जंगल की तरफ
पर,
तब तक
जंगल भी अपना लावलश्कर समेट के
जा चूका होगा
किसी और पृथ्वी पे उगने के लिए
उसके साथ
गौरैया भी फुर्र फुर्र कर के उड़
चुकी होगी
तब रह जाएगा
फक्त आग का दहकता गोला
और ठगे से हम
मुकेश इलाहाबादी -------------
एक दिन
जोतने और
खाद डालने के बावजूद
पेड़ उगना बंद कर देंगे
और फल देना भी
और
गौरैया भी
मुंडेर पे नहीं बैठेगी
अगर बैठी भी तो
उड़ जाएगी जंगल की तरफ
पर,
तब तक
जंगल भी अपना लावलश्कर समेट के
जा चूका होगा
किसी और पृथ्वी पे उगने के लिए
उसके साथ
गौरैया भी फुर्र फुर्र कर के उड़
चुकी होगी
तब रह जाएगा
फक्त आग का दहकता गोला
और ठगे से हम
मुकेश इलाहाबादी -------------
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