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Friday, 3 June 2016

रात एक नदी है

रात
एक नदी है
और
तुम्हारे ख्वाब
एक नाव
जिसपे बैठ के
मैं रोज़ पार करता हूँ
इस नदी को

मुकेश इलाहाबादी ---

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