ज़िंदगी तनाव मे है
नदी के बहाव मे है
पतंग कैसे उड़ेगी ?
हवा के दबाव मे है
तुम्हारी सारी यादें
मे्रे रखरखाव मे है
मुकेश कुछ अंगारे
देख तो कुछ अंगारे
इस बुझे अलाव मे है
मुकेश इलाहाबादी --
नदी के बहाव मे है
पतंग कैसे उड़ेगी ?
हवा के दबाव मे है
तुम्हारी सारी यादें
मे्रे रखरखाव मे है
मुकेश कुछ अंगारे
देख तो कुछ अंगारे
इस बुझे अलाव मे है
मुकेश इलाहाबादी --
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