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Sunday, 10 July 2016

उदासी घर सजाती रही

उदासी  घर सजाती रही
तंहाई साथ निभाती रही

हंसना खिलखिलाना चाहूँ
होंठो से हंसी रूठ जाती है

मुकेश इलाहाबादी ---------

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