रातो दिन का हिसाब मांगेगी
ज़िंदगी कुछ तो जवाब मांगेगी
परदेसी पिया !किसी दिन गोरी
सूने सावन का हिसाब मांगेगी
अगर आब न हो मयस्सर, तो
देखना यही प्यास शराब मांगेगी
चेहरों पे यूँ ही पड़ते रहे तेज़ाब
यही ख़ूबसूरती हिज़ाब मांगेगी
रात और अँधेरा ही काफी नहीं,,
सोने के लिए नींद ख्वाब मांगेगी
मुकेश इलाहाबादी -----------------
ज़िंदगी कुछ तो जवाब मांगेगी
परदेसी पिया !किसी दिन गोरी
सूने सावन का हिसाब मांगेगी
अगर आब न हो मयस्सर, तो
देखना यही प्यास शराब मांगेगी
चेहरों पे यूँ ही पड़ते रहे तेज़ाब
यही ख़ूबसूरती हिज़ाब मांगेगी
रात और अँधेरा ही काफी नहीं,,
सोने के लिए नींद ख्वाब मांगेगी
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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