नदी से क्या दोस्ती कर ली
समंदर से दुश्मनी कर ली
फ़लक़ भी है, ख़फ़ा, जबसे
चाँदनी से आशिक़ी कर ली
कूचाए ईश्क से क्या गुज़रे
ज़माने में रुसवाई कर ली
मुकेश तुम भी नहीं बोलते,
तुमसे क्या दिल्लगी कर ली
मुकेश इलाहाबादी -------
समंदर से दुश्मनी कर ली
फ़लक़ भी है, ख़फ़ा, जबसे
चाँदनी से आशिक़ी कर ली
कूचाए ईश्क से क्या गुज़रे
ज़माने में रुसवाई कर ली
मुकेश तुम भी नहीं बोलते,
तुमसे क्या दिल्लगी कर ली
मुकेश इलाहाबादी -------
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