सारे,
क़ायनात की ख़ूबसूरती
तुम पे उतर आती है
जब, तुम सजा लेती हो
माथे पे लाल बिंदी
और,
सिर को ढँक कर पल्लू से
झुका लेती हो
बड़ेरी अँखियाँ
सच !
तब तुम
बहुत प्यारी लगती हो
सच, बहुत - बहुत प्यारी
लगती हो तुम, सुमी
मुकेश इलाहाबादी -----
क़ायनात की ख़ूबसूरती
तुम पे उतर आती है
जब, तुम सजा लेती हो
माथे पे लाल बिंदी
और,
सिर को ढँक कर पल्लू से
झुका लेती हो
बड़ेरी अँखियाँ
सच !
तब तुम
बहुत प्यारी लगती हो
सच, बहुत - बहुत प्यारी
लगती हो तुम, सुमी
मुकेश इलाहाबादी -----
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