नींद आये तो, तेरा ख्वाब रहता है
आँख खोलूँ तो तेरा खयाल रहता है
गर तेरी सूरत देखना चाहूँ मैं तो
तेरे चाँद से मुखड़े पे हिज़ाब रहता
मुलाकात की इल्तज़ा करता हूँ तो
तेरा हमेशा इंकार में जवाब होता है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
आँख खोलूँ तो तेरा खयाल रहता है
गर तेरी सूरत देखना चाहूँ मैं तो
तेरे चाँद से मुखड़े पे हिज़ाब रहता
मुलाकात की इल्तज़ा करता हूँ तो
तेरा हमेशा इंकार में जवाब होता है
मुकेश इलाहाबादी --------------------
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