देर तक सोचता हूँ फिर लिखता हूँ
तुझको ख़त लिखता हूँ मिटाता हूँ
कभी उठता हूँ ,कभी बैठ जाता हूँ
जैसे तैसे मैं रातों दिन बिताता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---------------
तुझको ख़त लिखता हूँ मिटाता हूँ
कभी उठता हूँ ,कभी बैठ जाता हूँ
जैसे तैसे मैं रातों दिन बिताता हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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