चाँद मुझे आग का गोला लगता है
तुझ बिन गुलशन सहरा लगता है
कहीं जाऊं कहीं आऊं कहीं बैठूँ ??
तुझ बिन जग सूना-सूना लगता है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
तुझ बिन गुलशन सहरा लगता है
कहीं जाऊं कहीं आऊं कहीं बैठूँ ??
तुझ बिन जग सूना-सूना लगता है
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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